मटक लटक
क्योंकि जीना मैंने सीख लिया है भले ही दामन में हों गम हज़ारमटक लटक कर कर लेंगे हम जीवन के यह पल गुज़ार
भले पढ़ी नहीं हूँ मैं
न मैंने शहर है देखा कोई
पर खुशियों से युंह भरा है मेरा आँचल
की हस्ते हस्ते मैं हूँ रोइ
चलते है रहना,
हैना बहना?
- Diary of an Oxymoron
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