इस जीवन के करघे से
हमने हर एक पहलु को है सुना
कभी हसी का ताना और कभी गम के बाने को
अपने हाथों से है बुना
उस खादी के जैसा है हर एक क्षण
जिसमें इन्द्रधनुष के सभी भर दिए हैं हमने रंग
चलती चलती यह इंसानी मशीन
किसी दिन यूंह ही रुक जाएगी
फिर नया चक्र चलेगा,
नई कहानी बुनने में आएगी
- Diary of an Oxymoron
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