सालों बीत जातें हैं किसी कहानी को हुए ख़तम
फिर भी ठहरा रहता है पल यहीं कहीं
लम्हे जैसे साथ नहीं छोड़ना चाहते हों दामन का
जैसे अभी और कुछ बचा है उन पन्नों पे लिखना
फिर भी ठहरा रहता है पल यहीं कहीं
लम्हे जैसे साथ नहीं छोड़ना चाहते हों दामन का
जैसे अभी और कुछ बचा है उन पन्नों पे लिखना
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