Friday 28 February 2014

चलना है, तोह चलेंगे आगे

तस्वीर में छुपी वोह हसी कि कहानी
वोह उस दिन यूँह सुना पुराना एक गाना
कुछ बिखरी हुई ज़ुल्फ़ें और एक लम्बी सड़क
क्या खुद में खो जाने की ख़ुशी इसे ही कहते हैं?

वोह कुछ बिखरे हुए कागज़, यादें हैं सम्भाले
और बातें कई हवाओं में अभी भी सुनायी देतीं हैं
फिर वोह रास्ता जिसपे चला करते थे यूँह
क्या उसमें खो जानें कि ख़ुशी इसी को कहते हैं?

एक सूना सन्नाटा, कुछ शोर कुछ लड़ाई
वोह चुपके से शांति का यूँ चले आना
कुछ हंसी के ठहाके, रोना और रुलाना
क्या पल में ठहर जाना इसी को कहते हैं?

चलना है, तोह चलेंगे आगे
रुकने को आखिर किसने कहा है
पर पल पल साथ रहती जो हैं बातें
उन्हें जी लें पल पल इसी में मज़ा है 

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